Akankshi
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दिवाली की रोशनी
होली की पिचकारी
सुबह की तजा हवा
आँगन की किलकारी
घर आँगन मैं सूर्या किरण सी
बेटी लगती सबको प्यारी.
कच्ची-इमली, खट्टा-चूरन
गुड्डे-गुड़िया, पाँव-टिक्का
जाने मैं कब बड़ी हो गयी
यौवन मैं पाँव रखा
माता पिता अब कहें परायी
जो लगती थी सबसे प्यारी.
ख़ुशी के आंसू आँखों में
घर से करी विदाई
जिसको न जाना-पहचाना था
उसकी हो नए घर आई
नाहे जीवन के सब अनजानों ढ
अब बनना है सबसे प्यारी.
यह किस्मत बेटी की ही है
जो दो जीवन जीती है
ख़ुशी बाँट दो-दो कुलों में
सारे गम खुद पीती है
सृजन करेगी नए जीवन का
जो बेटी होगी सबसे प्यारी.
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