Akankshi
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बच्चे सदाचार भूले हैं
हम आचार-विचार भूले हैं
स्वार्थ सिद्धियाँ याद रह गयी
करना पर-उपकार भूले हैं..
मानवता हम भूल रहे हैं,
अपने कर्तव्यों को हम भूल हैं
देखा देखी
औ फैशन की नक़ल में
अपनी संस्कृति को हम भूल भूले हैं..
देश पर जान देने वालों के
आदर्शों को दिन-प्रति-दिन
हम भूल रहे हैं..
भूलने की यदि
यही गति रही हमारी
तो एक दिन
भूल जायेंगे हम
हमारा देश,
हमारे माता-पिता,
हमारे पूर्वज,
हमारे अपने,
हमारे खाने, रहने, पहनने का तरीका,
और फिर
भूल जायेंगे हम,
क्या हम मनुष्य भी थे कभी
या क्या थे हम
या क्या हैं हम…
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